जाति धर्म दिबार नहीं होते हैं
हर धर्म मैं विश्वास और भगवान होते हैं
बस रीति रिवाज थोड़े अलग होते हैं
पर सोच के देखो सबके खून लाल होते हैं
ये देश तब बनता है जब हर धर्म एक होते हैं
जब किसी और धर्म के त्योहार पर हम भी खुश होते हैं
फूल से भी कमजोर हम लोगों के रिश्ते होते हैं
तभी तो एक गलत फेमी से याहा दंगा होते हैं
खुदका सिना चीर के देखो बस गंदे सोच मिलेंगे
जिस दिन उस सोच से बाहर aajao उस दिन तुमको भगवान मिलेंगे|
द्वारा - सच्चिदानंद प्रुस्त्य
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