-----------------------your talent your identity---------------
सुरु हुआ कुछ इस तरह से इसका सिलसिला।
जन्म से ही जिसको हर जगह नापा गया।
बेटा हो या बेटी तुलना जिसका हर जगह किया गया।
अरे तेरा बेटे को देख कितना पतला है।
अपनी बेटी को देख कितनी काली है।
मेरी बेटी या बेटा को देख सर्वगुण संपन्न है।
मानो जेसे वो इंसान नही हो कोई खिलौना।
जिसे देख परख कर हो खरदा गया।
अब सुरु हुआ पढ़ाई का सिलसिला।
जहा बच्चो के कबलियत से जादा उसे उसके अंको से नापा गया।
अब चाहे वो class nursery हो या हो class 10
Apne काबलियात ko छोड़ अंक केसे लाया जाए इस पर जोर दिया गया।
जेसे धीरे धीरे सूरज बादलों में छिपता गया।
आमवास्या की रात और काली होते गया।
jee or neet के एक सीट पाने की चाह mei दिन रात पढ़ता गया।
मेहनत करने का बावजूद भी रिजल्ट न आने पे
उस पे pressure बनता गया।
Family,job,carrier को कैसे बचाया जाए
उस सोच में वो पल पल मरता गया।
फिर कभी इसके बच्चे तो कभी उसके बच्चे से उसका तुलना किया गया।
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अब बोहोत हुआ अब तो रुक जाओ।
अपने बच्चे के नए सोच के साथ तो आगे आओ।
तब देखोगे तुम उसका कमाल।
कदम कदम पे बिखरेगा उसका हुनर का जलवा
और ये दुनिया भी देगा उसका मिसाल।
after reading your words i am speechless
ReplyDeletevery much wonderful poem u have written
thank you for your appreciation
DeleteChati chir diya
ReplyDeleteVery well written Sanju 👏👏.....keep going 👍🏻
ReplyDeleteThank you
DeleteVery well written 💯💯
ReplyDeletethanks
DeleteNice poem 😊
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