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 ओडिशा उत्कल कलिंगा 

समय के साथ नाम बदलता गया।

पर वीरता का गाथा अमर होता गया।

एक ऐसा ऐतिहासिक राज्य जहा खून का नदी बहा था।

जहा लोगों ने हार से अच्छा मौत चुना था। 


ओडिशा एक राज्य नही एक परिभाषा है।

इतिहास से भरा यहां हर एक दिशा है।


यहां हर पांच मिल पर मिलता कुछ अलग त्योहार है।

क्युकी हमारा संस्कृति ही हमारी तलवार है


यहां सुभाष एक व्यक्तिव नही एक विचार है।

तभी तो यहां लोगों को जीत से जादा स्वाभिमान से प्यार है।


चार तृथों मे आते हमारे पुरी के जगन्नाथ है |

आज भी विज्ञान को चुनौती देता इस मंदिर मैं कुछ तो बात है।


जब जगन्नाथ का विष्व प्रसिद्ध रथ यात्रा होता है

दुनिया भर के लोगों का आस्था इनको यहां खींच लाता है।


सूर्य देव के किरणों को जो पूजने के लिए तैयार रहता है

कोणार्क है वो जो कारीगरी और बलिदान का गाथा कहता है।

जब 1200 के लिए एक बच्चा मौत के बाहों में कूद जाता है।


अशोक के सामने जब सारा विष्व झुक रहा था ।

तब पुरु के साथ समग्र उत्कल गरज रहा था।


जब स्वाभिमान के साथ खून का नदी बहा था

तब जाके कोई चंदासोक के दर्माशोक बना था



जब सिपाही विद्रोह बस एक सोच के तरह उभर रहा था

तब उत्कल का पाइक विद्रोह अंग्रेजो के ऊपर केहर बरसा रहा था।


उपेंद्र भंज के बारे में दुनियां को कुछ खास पता नहीं है

उनके कविताओं को अनुवाद किया जाए तो उनसे बड़ा कोई कवि सम्राट नही है।



             SACHIDANANDA PRUSTY।

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